- न्यूज की न्यूज डेस्क.
लाठीचार्ज को एक सप्ताह हो गया फिर भी अब तक चुप क्यों हैं सीएम मनोहर लाल? क्या है उनकी चुप्पी का राज?
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठीचार्ज हुए एक सप्ताह का समय बीत गया है. तब से लेकर अब तक विपक्ष से लेकर भाजपा तक के नेता इस घटना की निंदा कर चुके हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक हरियाणा के मुखिया यानी सीएम मनोहर लाल ने इस पर कोई ब्यान नहीं दिया है. न तो इसे सही बताया और न ही इसकी कोई निंदा की. प्रदेश के मुखिया का इतनी बड़ी घटना पर चुप्पी साधना कोई सामान्य बात तो नहीं हो सकती. इसलिए राजनीतिक गलियारों में इसकी चर्चा होने लगी है कि लाठीचार्ज पर सीएम की चुप्पी का राज क्या है? ऐसे में हम आपको बताने का प्रयास करेंगे कि सीएम मनोहर लाल चुप क्यों हैं...

गठबंधन : सीएम मनोहर लाल की चुप्पी की एक बड़ी वजह यह हो सकती है कि सत्ता में सहयोगी पार्टी जेजेपी के नेता और डिप्टी सीएम दुष्यंत जांच की मांग कर चुके हैं और सीएम ब्यान देकर किसी का पक्ष नहीं लेना चाहते. वो न तो दुष्यंत के पक्ष में बोलना चाहते और न ही विज के पक्ष में. इसलिए वो इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखना चाहते हैं. अलग होना : इसी से जुडी एक वजह ये भी हो सकती है कि सीएम मनोहर लाल भी अब गठबंधन तोडना चाहते हों इसलिए छह रहे हों कि दुष्यंत और अनिल विज आपस में भिड़ते रहें और इन्हीं की वजह से गठबंधन टूट जाए, जिससे उनका नाम इसमें न आए. शराब घोटाले की रिपोर्ट के समय की बात तो आपको याद होगी ही, जब सीएम ने खुलकर विज का पक्ष लिया था केंद्र : एक वजह ये भी हो सकती है कि विज के खिलाफ ब्यान देकर वो केंद्र के सामने अपनी फुट फिर से नहीं दिखाना चाहते और वैसे भी तीनो अध्यादेश भी केंद्र के ही हैं, इसलिए वो चुप रहकर ही समय निकालना चाहते हैं.
मतभेद : एक वजह ये भी हो सकती है कि पार्टी के जिन लोगों ने आवाज उठाई है वो ज्यादातर संगठन से जुड़े एमपी आदि हैं, प्रदेश सरकार से जुड़े नेताओं ने ज्यादा जांच की मांग नहीं उठाई है. ये तो सभी को पता है कि कैप्टन अभिमन्यु और धनखड़ आदि से सीएम की कितनी बनती है. इसलिए उनकी आवाज को वो ज्यादा हवा नहीं देना चाहते. सोच-विचार : एक वजह ये भी हो सकती है कि सीएम अभी पुरे मामले पर सोच विचार कर रहे हों और सही समय का उन्हें इन्तजार हो. सही समय आने के बाद ही कुछ बोलें.
बड़ा सवाल : लेकिन इस सब के बिच किसानों के मन में जो बड़ा सवाल है वो यह है कि पार्टी के अंदर जो भी चले लेकिन प्रदेश के मुखिया को इतनी बड़ी घटना पर एक बार तो जरुर बोलना चाहिए था. किसानों का कहना है कि यही लाठीचार्ज अगर व्यापारियों पर हुआ होता तो क्या सीएम चुप रहते? किसानों को फिर से समझ आ रहा है कि क्यों भाजपा को शहरों की पार्टी कहा जाता है.
- अंत में हम तो यही कहेंगे सीएम साहब अपनी चुप्पी तोड़ें और सबको बताएं कि आपके हिसाब से लाठीचार्ज गलत था या सही या फिर आपकी नजर में भी लाठीचार्ज हुआ ही नहीं.
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