हरियाणा में ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ नामक फसल बीमा योजना और ‘मेरा पानी – मेरी विरासत’ नामक फसल विविधिकरण योजना जैसी दोनों योजनाओं के तहत अपना नाम दर्ज करवाने वाले कपास उत्पादकों को प्रीमियम दरों में किसी भी प्रकार की वृद्धि के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि राज्य सरकार वैकल्पिक फसलों की बीमा लागत का शतप्रतिशत खर्च वहन करेगी।

केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना में सुधार के बाद अब किसानों को खरीफ फसलों के लिए बीमा राशि का दो प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का भुगतान करना होगा और कपास, जो एक वाणिज्यिक और वार्षिक फसल है, उसके लिए पांच प्रतिशत बीमा राशि का भुगतान करना होगा।
“राज्य की फसल विविधिकरण योजना के तहत कपास सहित वैकल्पिक फसलों की खेती करने वाले किसानों को ऐसी फसलों पर कोई बीमा प्रीमियम नहीं देना होगा। राज्य सरकार पांच जिलों के आठ खंडों में मक्का की फसल के प्रीमियम का शतप्रतिशत खर्च भी वहन करेगी।”
राज्य में गत तीन वर्षों के दौरान ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के तहत किसानों और केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा सामूहिक रूप से भुगतान किए गए प्रीमियम की तुलना में किसानों को दावों के लिए अधिक धनराशि मिली है। किसानों को खरीफ 2016 और रबी 2018-19 के बीच प्रीमियम के रूप में अदा किए गए 1,672.03 करोड़ रुपये की तुलना में दावों के लिए 2,097.93 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है।
हरियाणा में किसानों ने सबसे कम भुगतान किया
पड़ोसी राज्य राजस्थान और उत्तर प्रदेश जहां क्रमश: 8,501.31 करोड़ रुपये एवं 4,085.71 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में अदा किए गए और किसानों को क्रमश: 6,110.77 करोड़ रुपये एवं 1,392.6 करोड़ रुपये दावे के रूप में प्राप्त हुए, की तुलना में हरियाणा में किसानों ने सबसे कम भुगतान किया और दावों में सबसे अधिक राशि प्राप्त की है। राष्ट्रीय स्तर पर, किसानों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा सामूहिक रूप से प्रीमियम के रूप में 76,154 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि किसानों ने 55,617 करोड़ रुपये की राशि दावों के रूप में प्राप्त की।
राज्य में खरीफ 2016 और खरीफ 2019 के बीच योजना के तहत 49,78,226 किसानों को कवर किया गया। इस अवधि के दौरान कुल 2,524.98 करोड़ रुपये की प्रीमियम राशि का भुगतान किया गया, जिसमें से किसानों ने 812.31 करोड़ रुपये, राज्य सरकार ने 996.01 करोड़ रुपये और केंद्र सरकार ने 716.66 करोड़ रुपये अदा किए। इसकी तुलना में, किसानों को दावों के रूप में 2,662.44 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।