सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के मामले में हरियाणा व पंजाब के मुख्यमंत्रियों को साथ बैठककर मामले का हल निकालने के आदेश दिए हैं। सुनवाई के दौरान हरियाणा, पंजाब व केंद्र की ओर से सीनियर एडवोकेट पेश हुए और अपना-अपना पक्ष रखा। कोर्ट में बताया गया कि दोनों राज्यों में मुख्य सचिव स्तर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक हल नहीं निकला है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि संभव है तो दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री साथ में बैठकर वार्ता करके देखें और यह बताएं कि समस्या का हल निकाल सकते हैं या नहीं। मामले की अगली सुनवाई अगस्त के तीसरे सप्ताह में होगी। हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेवराज महाजन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं, उसकी कॉपी पढ़ी जाएगी। इसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा। अभी दोनों मुख्यमंत्रियों को बातचीत के लिए कहा गया है। उल्लेखनीय है कि पंजाब पहले ही हरियाणा को पानी देने से साफ मना कर चुका है। जबकि हरियाणा की ओर से हमेशा अपने हिस्से का पानी हर हाल में लेने का दावा किया जा रहा है।
ये है एसवाईएल विवाद पंजाब से हरियाणा 1 नवंबर 1966 को अलग हुआ था। लेकिन उस वक्त पानी का बंटवारा नहीं हुआ। इसके कुछ सालों बाद केंद्र ने हरियाणा को 3.5 एमएएफ पानी आवंटित कर दिया। इसी पानी को लाने के लिए 212 किमी लंबी एसवाईएल नहर बनाने का भी फैसला हुआ था। हरियाणा ने अपने हिस्से की 91 किमी नहर का निर्माण वर्षों पहले पूरा कर दिया था, लेकिन पंजाब ने अब तक अपने हिस्से का निर्माण नहीं किया।