सरकार में अलग-अलग विभागों में सामने आई गडबडी और घोटालों पर सरकार सख्त है। इसमें शामिल अधिकारीयों पर बड़ी कार्रवाई होगी क्योंकि सरकार ने इस पर रिपोर्ट मांग ली है। इस तरह की बड़ी-बड़ी बातें अखबारों में लिखी हुई हैं। क्योंकि रजिस्ट्री में गड़बड़ी के बाद स्पीकर ने सभी विभागों के दागी अफसरों की रिपोर्ट मांगी है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि सरकार कब तक कहती रहेगी-आओ रिपोर्ट-रिपोर्ट खेलें।

यह बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं। सरकार का रवैया यह सब दिखा रहा है। पिछले दिनों में कई तरह की गडबड की बात सामने आई हैं। उनमें चाहे धान घोटाला हो, शराब घोटाला हो या फिर रजिस्ट्रियों में गडबड की बात। हर बार यही कहा गया है कि रिपोर्ट मांग ली और दोषी पाए जाने वालों पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन यह बड़ी कार्रवाई कब होगी, इसका किसी को नहीं पता है।
- सबसे पहले पिछले साल ही धान घोटाले की बात सामने आ गई थी, उस समय मीलों की जांच से लेकर इसमें शामिल अधिकारीयों की खुद खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एसीएस ने रिपोर्ट मांगी और कहा कि दोषियों पर कार्रवाई करेंगे। परिणाम -हुआ अभी तक कुछ भी नहीं। - शराब घोटाले की बात सामने आई तो सरकार ने बड़े-बड़े अधिकारीयों की एसआईटी बना दी। कहा गया कि एसआईटी जो रिपोर्ट देगी उसके आधार पर बड़ी कार्रवाई होगी। परिणाम : न रिपोर्ट आई और न कोई कार्रवाई हुई। - एक माह पहले फिर से धान घोटाले की चर्चा शुरू हुई। जिस पर एससीएस पीके दास ने रिपोर्ट लेकर सख्त कार्रवाई करने की बात कही। परिणाम : हुआ इस बार भी कुछ नहीं। - कई मामलों में खुद सीएम मनोहर लाल तक कह चुके हैं कि रिपोर्ट मांग ली है और उसके आधार पर कार्रवाई करेंगे। परिणाम : वही, होना कुछ नहीं होता। - अब रजिस्ट्रियों में गडबड की बात सामने आई है तो सीएम फ़्लाइंग मैदान में उतर गई और सभी तहसीलों की रिपोर्ट ले रही और रिकार्ड जब्त कर रही है। परिणाम : क्या होगा आप सब जानते ही हैं।
खैर यह सब छोडिए, अब रजिस्ट्री गडबडी मामले में हरियाणा विधानसभा की कमेटियां ऐसे अफसरों की एक्शन टेकन रिपोर्ट तलब करेंगी जो दागी हैं। ताकि पता लगाया जा सके कि पिछले सालों में इन पर किस तरह की कार्रवाई हुई है। कहां कितने दागी अफसरों पर कार्रवाई हुई और कितनों पर कार्रवाई नहीं हो पाई। यदि पेंडिंग है तो कारण क्या है। स्पीकर ने इसके लिए विधानसभा की सभी कमेटियों के चेयरमैनों की बुधवार को बैठक बुला ली है। पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद कमेटी के चेयरमैन आगामी रणनीति तैयार करेंगे। हर डीसी को 15 दिनों में सरकार ने रिपोर्ट देने को कहा है। विधानसभा की 12 कमेटियां हैं, जो विभिन्न विभागों की मॉनिटरिंग करती हैं। कमेटियों की ओर से हर सप्ताह संबंधित महकमों के अधिकारियों के साथ बैठकें की जाती हैं। विधानसभा कमेटियों के चेयरमैन पिछले दिनों में एससी, एसटी के मामलों की जानकारी भी तलब कर चुके हैं।
विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि दागी अफसरों पर सरकार कार्रवाई करती है। पिछले सालों में ऐसे कितने अफसरों पर कार्रवाई के लिए विधानसभा कमेटियों ने रिकमंडेशन दी है। अब इनसे कोई ये भी तो पूछे कि इस रिकमंडेशन पर अब तक कार्रवाई कितने अधिकारीयों पर हुई है।
चलो कोई बात नहीं यह खेल तो ऐसे ही चलते रहना है। एक बार फिर रिपोर्ट मांग ली है तो देखते हैं इस बार क्या बड़ी कार्रवाई करेंगे या फिर से रिपोर्ट वाला तकिया किसी और के पाले में फेंकेंगे।