जुलाई माह में अब तक 60 एमएम बारिश हुई है जबकि पिछले साल इसी समय तक 16 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। बारिश कम होने पर खरीफ सीजन में बिजाई का आंकड़ा प्रभावित होने लगा है। जिले का कुल कृषि योग्य क्षेत्र 1.22 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है। ऐसे में पानी के संकट के चलते जिले में खरीफ फसलों की बिजाई प्रभावित होने लगी है। साल दर साल कपास, मूंग व ज्वार की फसलों की बिजाई का रकबा कम होगा जा रहा है। पिछले सप्ताह बारिश होने पर किसान खरीफ सीजन की बाजरा की फसलों की बिजाई की तैयार कर रहे हैं। कपास, मूंग व ज्वार की फसलों की बिजाई का काम शुरू हो गया है।

किसानों का कहना है कि लगातार बारिश कम होने से मंगू, बाजरा का रकबा लगातार घट रहा है। पिछले वर्ष खरीफ की फसल का रकबा 80 हजार हेक्टेयर था जबकि इस बार ये घटकर 60 हजार हेक्टेयर रह गया है। पिछले तीन साल से लगातार खरीफ की फसलें का रकबा घट रहा है। किसान सुरेंद्र सिंह कहते है कि भूमिगत जलस्तर गिर रहा है।
मानसून की बारिश में भी साल दर साल कमी हो रही है। जिसकी वजह से खरीफ की फसल में किसानों को लागत ज्यादा लगती है। इस वजह से न केवल मूंग बल्कि बाजरा इत्यादि की बिजाई भी कम होने लगी है। वहीं मांगेराम का कहना है कि बारिश ना होने पर डीजल फूंककर टयूबवेल से सिंचाई करनी पड़ रही है। डीजल के रेट भी बढ़ गए हैं, जिससे खरीफ की फसल लगाना घाटे का सौदा हो गया है।
इस संबंध में बलॉक कृषि विकास अधिकारी रमेश रोहिल्ला का कहना है कि मानसून सीजन में बारिश की कमी नहीं होनी चाहिए। जुलाई और अगस्त माह में बारिश की झड़ी जारी रहनी चाहिए तभी खरीफ की फसलों का रकबा बढ़ेगा।