चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच नवीनतम फोर्थ जेनरेशन फाइटर जेट राफेल अंबाला पहुंचाने वाला है। संभवत: 29 जुलाई को 4 से 6 राफेल लड़ाकू विमान उत्तर भारत के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पहुंच जाएंगे। फ्रांसीसी एयरपोर्स और इंडियन एयर फोर्स के पायलटों द्वारा इंहें यहां लैंड करवाया जाएगा। अंबाला एयर फोर्स स्टेशन अब राफेल का नया घर होगा। देश में राफेल की पहली स्क्वाड्रन अंबाला में ही तैयार की गई है। जबकि दूसरी स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरफोर्स स्टेशन में तैनात की जाएगी।

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में राफेल के आगमन की तैयारियां जहां जोर-शोर से चल रही है, वहीं राफेल की सुरक्षा भी इंडियन एयरफोर्स अथॉरिटी के लिए एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इसी के मद्देनजर अंबाला में एयरफोर्स स्टेशन को नो ड्रोन उड़ाने के लिहाज से प्रतिबंधित किया गया है। एयरफोर्स स्टेशन के 3 किलोमीटर के दायरे में कोई भी ड्रोन उड़ता दिखा तो एयरफोर्स अथॉरिटी उसे नष्ट करेंगी और ड्रोन उड़ाने वाले पर कार्रवाई होगी
अंबाला में बढ़ाई ग्लोबमास्टर और चिनूक की गतिविधियां
राफेल के अंबाला आने की तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में फिलहाल चिनूक और ग्लोबमास्टर हेलीकॉपटर व विमान की गतिविधियां भी बढ़ा दी गई हैं। दोनों ही ट्रांसपोर्ट संबंधी गतिविधियों में एयरफोर्स के एडवांस विमान और हेलीकॉपटर हैं। इन दिनों चिनूक और ग्लोबमास्टर के साथ-साथ एन-32 विमान भी अंबाला में एक्सरसाइज कर रहा है।
इसलिए जरूरी है अंबाला एयरफोर्स स्टेशन
शुरू से ही अंबाला एयरफोर्स स्टेशन दुश्मनों को अखरता रहा है। रणनीतिक और क्षमता की दृष्टि से अंबाला एयरफोर्स स्टेशन उत्तर भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयरफोर्स स्टेशन है। इस एयरफोर्स स्टेशन में पहले से ही लड़ाकू विमान जगुआर और मिग-21 बॉयसन की स्क्वाड्रन मौजूद है। वहीं अब चौथे और नवीनतम फाइटर जेट राफेल की स्क्वाड्रन भी यहां तैयार कर दी गई है।
1965 की लड़ाई में पाकिस्तान एयरफोर्स ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन को निशाना बनाते हुए यहां बम गिराए थे। मगर निशाना चूका और बम एयरफोर्स स्टेशन के बिल्कुल साथ सटे सेंट पॉल चर्च और अंग्रेजों के जमाने के सरहिंद क्लब (परिसर) पर जा गिरे। उसके बाद भी इस एयरफोर्स स्टेशन की जासूसी में एजेंट पकड़े जाते रहे हैं। अब चूंकि राफेल अंबाला आ रहा है और पाकिस्तान के साथ-साथ चीन से भी हालात तनावपूर्ण चल रहे हैं। ऐसे में इंडियन एयरफोर्स अथॉरिटी के लिए राफेल की सुरक्षा बड़ी चुनौती है। एक अधिकारी ने बताया कि इस पूरे इलाके को नो ड्रोन जोन घोषित करना जंगी विमानों की सुरक्षा संबंधी मसला है।