हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के पुरोधा पद्म विभूषण पंडित जसराज का अमेरिका के न्यूजर्सी में अपने आवास पर सोमवार की सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका जन्म हरियाणा के हिसार में हुआ था।

पंडित जसराज का सबसे बड़ा योगदान शास्त्रीय संगीत को जनता के लिये सरल और सहज बनाना रहा जिससे उसकी लोकप्रियता बढ़ी. उन्होंने ख्याल गायकी में ठुमरी का पुट डाला जो सुनने वालों के कानों में मिसरी घोल जाता था. पंडित जसराज ने इस साल जनवरी में अपने 90वें जन्मदिन पर शेर पढते हुए कहा था कि उम्र तो महज एक आंकड़ा है और अभी मुझे बहुत कुछ करना है लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था.
28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार में जन्में मेवाती घराने के अग्रणी गायक पंडित जसराज ने आठ दशक से अधिक के अपने सुनहरे सफर में यूं तो कई सम्मान और पुरस्कार हासिल किए. लेकिन पिछले साल इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) ने अगस्त में सौरमंडल में एक छोटे ग्रह का नाम उनके नाम पर रखा गया और यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय कलाकार बने.
शास्त्रीय संगीतकार होने के बावजूद उन्हें नए दौर के संगीत से गुरेज नहीं था. वह दुनिया भर का संगीत सुनते थे और सराहते थे. जगजीत सिंह की गजल ‘सरकती जाये रूख से नकाब’ उनकी पसंदीदा थी और एक बार दिन भर में वह सौ बार इसे सुन गए थे. भारत, कनाडा, अमेरिका समेत दुनिया भर में संगीत सिखाने वाले पंडित जसराज खुद अपने शिष्यों से सीखने को लालायित रहते थे.
उम्र के नौ दशक पार करने के बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या कोई ख्वाहिश अभी भी अधूरी है, तो उनका जवाब था ‘‘ गालिब ने कहा है, हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले. इतने बड़े शायर जब यह बात कह गए, तो हम तो बहुत पीछे हैं. किसी भी इंसान की ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होती.’’ उन्होंने कहा था,‘‘ मैंने कभी सोचा या चाहा भी नहीं, वो चीजें भगवान से मिल गई तो अब क्या चाहूं या क्या कहूं. पद्मश्री मिला तो मेरी आधी जान निकल गई थी. उसके बाद पद्मविभूषण तक मिला. बिना सोचे यहां तक आ गए तो आगे पता नहीं ईश्वर ने क्या लिखा है, उन्हीं पर छोड़ देते हैं.’’ उनके निधन पर न केवल हरियाणा बल्कि देशभर की बड़ी हस्तियों ने शौक व्यक्त किया। #PANDITJASRAJ #MUSIC #SINGER #HISAR #HARYANA #LATESTNEWS #HARYANANEWS #NESKINEWS