हरियाणा में भाजपा का एक विधायक किसी अपने को बचाने के लिए हेल्थ विभाग के सीएमओ को सस्पेंड करवाने चला था लेकिन उस जाल में खुद ही फंस गया।

दरअसल, कैथल से भाजपा विधायक लीला राम खुद ही अपने कारनामों में घिरते नजर आ रहे हैं। बीते दिनों लीला राम ने प्रदेश के सेहत मंत्री को चिट्ठी लिखकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया तो कैथल के चीफ मेडिकल ऑफिसर को सस्पेंड कर दिया गया। इसके 6 दिन बाद अब एक ऑडियो वायरल हुआ है, जिसमें विधायक खुद ही सीएमओ को भ्रूण की लिंग जांच जैसे एक संगीन मामले में कार्रवाई करने से रोकते सुने जा सकते हैं। 20 सितंबर को सेहत विभाग की टीम ने शहर के आर्य डायग्नोस्टिक सेंटर पर रेड की। यहां 40 हजार रुपए लेकर जयपुर की महिला की गर्भस्थ भ्रूण की लिंग जांच की गई। जांच में लड़का बताया गया। महिला एक्साइटमेंट के चलते दोबारा इसी सेंटर पर आ गई। डॉ. गौरव पूनिया की टीम ने डायग्नोस्टिक सेंटर को सील कर दिया। वहीं डॉ. विजय कुमार आर्य, दलाल और जयपुर की महिला पर केस दर्ज किया गया। कैथल विधायक लीला राम ने 29 सितंबर को भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर सिविल सर्जन डॉ. जयभगवान जाट्टान को सस्पेंड करने की सिफारिश की। विधायक की सिफारिश पर सिविल सर्जन को सस्पेंड कर दिया गया। सस्पेंशन के दौरान डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विस हरियाणा हेडक्वार्टर दिया गया। अब इस मामले को नया मोड़ देने वाले दो ऑडियो क्लिप वायरल हुए। इनमें से एक में खुद विधायक लीला राम को सीएमओ डॉ. जयभगवान जाट्टान को कार्रवाई नहीं करने को कह रहे हैं। दूसरे में विधायक का पीए पहले हो चुकी बात को याद करवाते हुए कार्रवाई नहीं करने की बात कह रहा है। हालांकि दोनों ही बार डॉ. जाट्टान इस मामले में ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कहते हैं।
मामले में बड़ा सवाल यह है कि सरकार में विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री से क्या ऐसी ही उम्मीद की जाती है? क्या आम आदमी को दिखाने के लिए ढोंग रचा जाता है कि ये ऐसी सरकार है, जिसमें अधिकारियों पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है? यह हरियाणा सरकार का कैसा बेटी बचाओ बेटी पढाओ है।
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