ग्रुप-डी में भर्ती हुए खेल कोटे से लगे कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। अनेक खिलाड़ी पुरानी ग्रेडेशन पॉलिसी के तहत सर्टिफिकेट जमा कराकर चयनित हुए थे, लेकिन बाद में सरकार ने कहा था कि वे 2018 की नई पॉलिसी के तहत सर्टिफिकेट बनाकर दें। ऐसे में भर्ती हुए युवाओं ने हाईकोर्ट चले गए थे। फैसला उनके हक में आने के बाद सरकार डबल बैंच में पहुंच गई है।

जींद उपचुनाव से पहले हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन से सरकार ने 18218 ग्रुप डी कर्मचारियों की भर्ती कराई थी। इनमें सरकार 1518 खिलाड़ियों का भी चयन हुआ था। इसके बाद सरकार ने एक आदेश जारी कर सभी खिलाड़ियों ने नई पॉलिसी के अनुसार सर्टिफिकेट मांगे थे, जबकि पॉलिसी के नियम बदलने से कुछ खिलाड़ी उसके दायरे में भी नहीं आ रहे थे। इनका चयन हरियाणा सरकार की खेल ग्रेडेशन पॉलिसी 1993 के सर्टिफिकेट के आधार पर स्पोर्ट्स कोटे हुआ था।
नौकरी जॉइनिंग के 6 महीने बाद सरकार ने इन खिलाड़ियों से नई खेल ग्रेडेशन पॉलिसी के तहत ग्रेडेशन सर्टिफिकेट देने की मांग की। ऐसा न करने पर इनकी सेवाएं बर्खास्त करने के नोटिस दिए गए, जबकि विज्ञापन संख्या 4/2018 में इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया था। केवल ग्रेडेशन मांगा गया था। डबल बेंच में इस मामले की सुनवाई 17 अगस्त को होगी।
डबल बैंच ने फैसला बदला तो दूसरे पदों पर भी पड़ेगा असर एसकेएस के महासचिव सतीश सेठी का कहना है कि हाईकोर्ट का फैसला यदि सरकार के हक में आता है तो अन्य भर्तियों पर भी इसका असर पड़ेगा। क्योंकि स्पोर्ट्स कोटे में चयनित करीब 194 क्लर्क, 30 जेई सिविल व 14 जेई इलेक्ट्रिकल का चयन 1993 की खेल ग्रेडेशन नीति के तहत सर्टिफिकेट के आधार पर हुआ है। सरकार ने इस फैसले के आने तक इनकी जॉइनिंग रोकी हुई है।