हरियाणा में इंडस्ट्री वाले आज यही कह रहे होंगे कि - हे भगवान ! ये क्या कर रही है सरकार जो रैंकिंग गिरती ही हां रही है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में हरियाणा को जोरदार झटका लगा है।

ताजा जारी रैंकिंग में हरियाणा 13 खिसक गया है। राज्य तीसरे स्थान से 16वें स्थान पर पहुंच गया है। इससे हरियाणा सरकार के औद्योगिक विकास को प्रयासों के लिए भी चुनौती पैदा हुई है। पंजाब को एक स्थान का उछाल मिला है और वह 20वें से 19वें स्थान पर आया है। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की इज ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग जारी की। इसमें पिछली बार के मुक़ाबले हरियाणा की रैंकिंग में बड़ी गिरावट आई है। 2017-18 में हरियाणा को Ease Of Doing Ranking में तीसरा स्थान मिला था और इससे हरियाणा सरकार बहुत उत्साहित हुई थी। इसके बाद राज्य में औद्योगिक विकास की संभावनाओं को और बल मिला था।
लेकिन रैंकिंग गिरने से हरियाणा के सामने बड़ी चुनाैती पैदा हो गई है। हरियाणा में औद्योगिक विकास को तेज करने मेें जुटी सरकार को अब इसमें और बेहतर रणनीति से कार्य करना होगा। सरकार दावा करती रही है कि राज्य में काफी संख्या में कंपनियों निवेश करना चाहती हैं और इसके लिए उनको बेहतर सुविधाएं व ऑफर दिए गए हैं।
कोरोना संक्रमण से जूझ रहे हरियाणा में श्रमिकों के पलायन सहित दूसरे अन्य कारणों से औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होने के बावजूद अब हरियाणा सरकार खासकर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के लिए बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। दुष्यंत के समक्ष पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल के समय की रैंकिंग दोबारा पाने की चुनौती है। मनोहर सरकार ने पहली पारी की शुरुआत की तो हरियाणा ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में राष्ट्रीय स्तर पर 14वें स्थान पर था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अगुवाई में तत्कालीन उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने उद्योगों को कई सहूलियतें दीं और इससे हरियाणा 2017-18 की Ease Of Doing Business Ranking में 11 स्थान की छलांग लगाते हुए तीसरे स्थान तक पहुंच गया। इस दौरान राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई औद्योगिक प्रस्ताव आए। गुरुग्राम में अंतरराष्ट्रीय स्तर का सम्मेलन हुआ जिसमें कई बड़े प्रोजेक्ट प्रदेश को मिले।
ये हैं रैंकिंग -

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