पूर्व सीएम और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने केंद्र सरकार की पोल खोलने का काम किया है, उन्होंने एमएसपी में बढ़ोत्तरी के आंकड़े पेश कर सरकार को आईना दिखाया है। उनका कहना है कि यूपीए सरकार के मुक़ाबले ये बढ़ोत्तरी कहीं नहीं ठहरती।

उन्होंने कहा कि प्रदेश की मंडियों में धान, बाजरा, मक्का, मूंग और कपास एमएसपी से बहुत कम रेट पर पिट रहे हैं। क्योंकि सरकार एमएसपी पर ख़रीद नहीं कर रही है। मजबूर में किसानों को प्राइवेट एजेंसियों के हाथों लुटना पड़ा रहा है। हुड्डा ने कहा कि मंडी में किसान को एमएसपी देने और दाने-दाने की सरकारी ख़रीद करने का लेकर दावा करने वाली सरकार को आज प्रदेश की मंडियों में जाकर देखना चाहिए। प्रदेश की कई मंडियां धान से अटी पड़ी हैं। लेकिन सरकार ख़रीद नहीं कर रही है। 1850 रुपए एमएसपी के बावजूद किसान को धान 1000-1200 रुपए में बेचनी पड़ रही है। नए क़ानून लागू करके सरकार किसानों को जिन प्राइवेट एजेंसियों के हवाले करना चाहती है, आज वो ही एजेंसियां किसानों की मजबूरी का फ़ायदा उठाकर एमएसपी से बहुत कम रेट में उनकी फसलें ख़रीद रही हैं। जब सरकार मंडियों को कमज़ोर करके इनको खुली छूट दे देगी तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ये एजेंसियां किस तरह किसान का शोषण करेंगी। सरकार को बताना चाहिए कि आज प्राइवेट एजेंसियां किसानों को उचित रेट क्यों नहीं दे रही हैं? अब ऐसा कौन सा क़ानून है जो उन्हें उचित रेट देने से रोकता है? नए क़ानून लागू होने के बाद इन एजेंसियों का हृदय परिवर्तन कैसे हो जाएगा? यहीं वो सवाल हैं जिनके जवाब किसानों को नहीं मिल पा रहे हैं और वो नए क़ानूनों को लेकर आशंकित हैं। हुड्डा ने कहा कि किसान, आढ़ती और विपक्ष सरकार से लगातार मांग कर रहे थे कि धान की खरीद 15 सितंबर से होनी चाहिए। सरकार ने ख़ुद 25 सितंबर से ख़रीद शुरू करने का ऐलान किया था। लेकिन अब वो 1 अक्टूबर से ख़रीद शुरू होने की बात कह रही है। बार-बार अपने बयान से पलटना बताता है कि सरकार की मंशा धीरे धीरे एमएसपी और मंडी व्यवस्था को खत्म करने की है। सरकार को चाहिए वो जल्द से जल्द धान की ख़रीद शुरू करे और पिछली बार की तरह इस बार किसान पर 25 क्विंटल की ही ख़रीद की लिमिट ना थोपे। अगर सरकार किसान से महज़ 25 क्विंटल धान ही ख़रीदेगी तो किसान बाक़ी धान लेकर कहां जाएगा? नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार ने रबी की फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी की महज़ खानापूर्ति की है। फसलों के समर्थन मूल्य में हुई बढ़ोतरी नाकाफी है। हरियाणा में मुख्यतः उगाए जाने वाले गेहूं पर सरकार ने सिर्फ 2.6% यानी 50 रुपये की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया है। जबकि पेट्रोल-डीजल, ट्रांसपोर्ट, बीज, दवाई, बुआई, कटाई, कढ़ाई और सिंचाई की लागत बेतहाशा बड़ी है। उसके मुक़ाबले एमएसपी में बढ़ोत्तरी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। #bhupenderhooda #excmharyana #congress #mspnews #latestnews #politicalnews #newskinews #haryana #haryananews