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पांच का पंच : भारत की वो 5 महिला पहलवान जिन्होंने देश को दिलाया वर्ल्ड मेडल

यदि इरादे मजबूत हो, हौसले बुलंद हो और खुद पर विश्वास हो तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आपका लक्ष्य प्राप्त करने से रोक नहीं सकती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया भारत की इन पांच महिला रेसलर ने। पांचो पहलवानों के लिए कुश्ती का सफर मुश्किलों से भरा था लेकिन अपनी लगन और मेहनत के बल पर इन महिला रेसलर ने देश को वर्ल्ड लेवल पर पहचान दिलाई। आइए आपको मिलाते है भारत की इन 5 महिला पहलवानों से जिन्होंने देश के लिया जीता वर्ल्ड चैंपियनशिप में मैडल...



विनेश फोगाट - विनेश के कुश्ती करियर की शुरुआत साल 2009 से हुई। साल 2013 में विनेश ने दिल्ली में आयोजित हुए दिल्ली एशियन गेम्स में 51 किग्रा कैटेगरी में कांस्य पदक जीता इसी साल उन्होंने जोहानसबर्ग में आयोजित हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भी रजक पदक जीता। इसके बाद विनेश ने यह सिलसिला कभी रुकने नहीं दिया। लेकिन उनका सबसे बड़ा मैडल आया साल 2019 में जब विनेश ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल जीत कर देश को ओलंपिक कोटा दिलाया। वर्ल्ड चैंपियनशिप में मैडल जीतने वाली विनेश पांचवी महिला पहलवान है।


““मैंने 2009 में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता और एक पहलवान के रूप में इस अद्भुत यात्रा की शुरुआत की। 11 साल हो चुके है , और अभी भी इस सवारी का आनंद ले रही हूँ। इस टैली में कई और पदक जोड़ने के लिए उत्साहित हूँ। प्यार, हँसी, दर्द, निराशा और आशा के इन सभी वर्षों के लिए बहुत आभारी हूँ ” विनेश ने कहा।

पूजा ढांडा - पूजा ढांडा ने अपने करियर की शुरुआत जूडो खिलाड़ी के रूप में की थी। जूडो, युवा पूजा ढांडा के लिए पहला प्यार था। वह जूडो खिलाड़ी के रूप में बहुत सफल भी रही और देश के लिए तीन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मैडल भी जीते। हालांकि अपनी प्रशंसा के बावजूद, ढांडा ने पूर्व भारतीय पहलवान और कोच कृपा शंकर बिश्नोई के साथ बातचीत के बाद जूडो से आगे बढ़ने का फैसला किया। ढांडा ने 2009 में कुश्ती में कदम रखा, और तब से पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने 2010 में सिंगापुर में आयोजित यूथ ओलंपिक में भाग लिया और 60 किग्रा फ्रीस्टाइल वर्ग में रजत पदक जीता। उन्होंने 2013 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की। 2015 में खेल के दौरान पूजा चोटिल हो गए जिसके कारण डॉक्टर ने पूजा को दो वर्ष तक खेलों से दूर रहने की सलाह दी । इसके बाद ऑपरेशन के लिए बोला गया है। पूजा को हर वक्त मन में मलाल रहता था कि प्रतिभा होने के बाद भी मैं खेल नहीं पा रही हूं। यह बात खलती थी और आत्मविश्वास भी कम हो गया था। लेकिन पूजा ने जनवरी 2017 में शानदार वापसी की। पूजा ने वर्ष 2018 में भी कॉमनवेल्थ गेम्स व सीनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में देश का नाम रोशन किया। एक महिला पहलवान के रूप में सफलता हासिल करना कुश्ती के प्रति भारत में लोकप्रियता को बढ़ाता है।


गीता फोगाट - कुश्ती के क्षेत्र में गीता फोगाट एक ऐसा नाम है जिसे हर कोई जानता है। गीता फोगाट का जन्म 15 दिसम्बर 1988 को भारत के हरियाणा के छोटे से गावं बलाली के भिवानी जिला में हुआ था। गीता के पिता महावीर सिंह फोगाट ही उनके कुश्ती के कोच थे व खुद भी एक पहलवान थे। 2010 में दिल्ली के राष्ट्रमंडल खेलों में फ्री स्टाइल महिला कुश्ती के 55 Kg कैटेगरी में गीता फोगाट ने गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। 2009 के राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में 55 किलो ग्राम भार के पहलवानी में गीता ने स्वर्ण पदक जीता। 2011 में लंदन में हुई राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियनशिप में गीता ने 56 किलो ग्राम वर्ग की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। 2012 में गीता ने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के 55 किलो ग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीता था। और ऐसे करने वाली वो दूसरी महिला पहलवान बनी।