न्यूज की न्यूज : हरियाणा में भाजपा के नए बने प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड को जब से कमान मिली है वो लगातार जिलों में जाकर अपना सम्मान करवा रहे हैं और बधाई ले रहे हैं। लेकिन अब उनके लिए बधाई लेने का समय खत्म हो गया है और उनके परीक्षा देने का समय आ गया है। आईए हम आपको बताते हैं कि उनके लिए अभी सबसे पहले और बड़ी परीक्षा क्या होने वाली है?

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ की नियुक्ति के बाद उनकी पहली परीक्षा है जिला प्रधानो की नियुकुई करना, इसके लिए नेताओं ने भागदौड़ तेज कर दी है। 22 में से 17 जिलाध्यक्षों के बदले जाने की संभावना है। सबके कारण अलग-अलग हैं।
- 8 प्रधानों की कुर्सी गुटबाजी, जातिगत संतुलन बैठाने और विधायकों से तालमेल न होने से जा सकती है।
- जबकि 3 बुजुर्ग हो चुके हैं। इन पर भाजपा की नई शर्त 50 वर्ष से कम उम्र होना भारी पड़ सकती है। - वहीं, 2 की कुर्सी विवादों के फेर में फंसी है। दो खुद पद छोड़ने को राजी हैं।
- रेवाड़ी व यमुनानगर में निधन के बाद से पद खाली हैं।
जानिए कहां क्या है स्थिति -
पलवल : जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह सौरोत 5 वर्ष से पद पर हैं। उन्होंने खुद पद छोड़ने का मन बनाया है। उनका बदला जाना तय है। दावेदारों में पवन अग्रवाल विधायक दीपक मंगला के नजदीकी व जिला महामंत्री हैं। संजय भारद्वाज 2 बार जिला महामंत्री रह चुके हैं। विधायक, सांसद से अच्छे संबंध हैं। बीरपाल दीक्षित भाजपा किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष भी लाइन में हैं।
अम्बाला : जगमोहन लाल का कार्यकाल रिपीट होने की संभावना थी। उनका बेटा स्मैक तस्करी में गिरफ्तार होने के बाद स्थिति कुछ बदली है। अब राजेश बतौरा व मनदीप राणा के नाम पर भी चर्चा है। मनदीप सिटी विधायक असीम गोयल के खेमे से माने जाते हैं जबकि राजेश कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सैनी के करीबी हैं। नए प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद राजेश की दावेदारी मजबूत हुई है, क्योंकि विधायक असीम के विरोधी भाजपा प्रदेश प्रवक्ता डॉ. संजय शर्मा की धनखड़ से नजदीकियां हैं। गुड़गांव : गुड़गांव जिलाध्यक्ष भूपेंद्र चौहान पर एक साल पहले एक महिला ने छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। हालांकि समझौता हो गया था। इसलिए बदला जाना तय माना जा रहा है। दावेदारों में जीएल शर्मा, जो डेरी विकास सहकारी प्रसंघ के चेयरमैन व सीएम के नजदीकी हैं। कमल यादव युवा नेता होने के साथ पुराने कार्यकर्ता हैं। बड़े नेताओं के करीबी हैं। तीसरे कुलभूषण भारद्वाज पूर्व जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा व आरएसएस के कार्यकर्ता हैं।
मेवात : जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र देशवाल भी दौड़ में हैं, लेकिन पार्टी को मजबूती नहीं दे पाए। पार्टी को मुस्लिम व हिंदुओं में पैठ वाला चेहरा तलाश रही है। दावेदारों में जिला उपाध्यक्ष नरेन्द्र पटेल पुराने कार्यकर्ता हैं और आरएसएस से जुड़े हुए हैं। जिला मंत्री शिव कुमार बंटी भी जिलाध्यक्ष बनने की दौड़ में हैं।
फतेहाबाद : जिलाध्यक्ष वेद फुलां का कार्यकाल ठीक रहा। इसलिए रिपीट हो सकते हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक दुड़ाराम प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि उनकी टिकट पर विरोधाभास रहा था। दावेदारों में मार्केट कमेटी टोहाना के चेयरमैनप रिंकू मान व जिला उपाध्यक्ष गुलशन हंस लाइन में हैं।
चरखी दादरी : जिलाध्यक्ष रामकिशन शर्मा को बदलने का कारण जातीय समीकरण हैं। फील्ड में सक्रियता कम है। बदला जाना तय माना जा रहा है। दावेदारों में बाढड़ा के पूर्व विधायक सुखविंद्र मांढ़ी है। दूसरे प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सतेंद्र परमार हैं। भाजपा प्रदेश मंत्री डॉ. किरण कलकल जिला पार्षद भी हैं।