कृषि विभाग के अधिकारी या कर्मचारी किसानों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर रखेंगे। वे इस बार धान कटाई के बाद फसल अवशेषों में आग लाने के बाद किसानों के चालान भी नहीं काटेंगे। कृषि विभाग के आला अधिकारियों ने इस संदर्भ में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दो टूक कह दिया है, यह काम हमारा नहीं है।

कृषि विभाग का कार्य किसानों का कल्याण करना है, न की उत्पीड़न करना। अब चालान काटने की प्रक्रिया प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ही संभालेगा। यही नहीं कृषि विभाग ने किसानों को फसल अवशेष न जलाने के लिए प्रेरित करने को केंद्र सरकार से 11 करोड़ रुपए की राशि मांगी है। ताकि प्रदेश के 16.17 लाख से अधिक किसान परिवारों को फसल अवशेष न जलाने बारे जागरूक किया जा सके। यही नहीं 1304 करोड़ रुपए की राशि केंद्र से मांगी गई है, ताकि फसल अवशेष न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा सके। किसानों को नकद राशि भी मुहैया कराई जाएगी। सीएम मनोहर लाल ने इस राशि के लिए केंद्रीय सरकार को पत्र लिखा है, ताकि धान कटाई से पहले यह राशि मिल जाए और किसानों को लाभ मिल सके।
ये है कृषि विभाग की दलील अमूमन किसानों के साथ कृषि विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों का सीधा संपर्क होता है। दर्जनों प्रकार की योजनाएं किसानों के लिए चलती हैं। इन योजनाओं में किसानों को साथ लेकर चलना होता है। किसानों के साथ संगोष्ठी होती है, फसल विविधिकरण, जल बचाव, मेरी फसल मेरा ब्यौरा सहित कई ऐसी योजनाएं हैं जिनको लेकर विभाग को हर रोज किसानों के संपर्क में रहना पड़ता है।
पिछले कुछ सालों में यह देखने में आया है कि चालान काटे जाने से किसानों व कृषि विभाग के बीच तालमेल की कमियां आ रही हैं। इस कारण कृषि विभाग ने साफ कह दिया है, हम अपना काम करेंगे, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपना कार्य करे। जो प्रदूषण फैला रहा है, उसका चालान करने का काम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ही करे तो बेहतर होगा।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, अतिरिक्त मुख्य सचिव, संजीव कौशल ने कहा कि अबकी बार फसल अवशेष प्रबंधन पर 1304 करोड़ रुपए की राशि केंद्र से मांगी गई है, सीएम ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। उसमें से 475 करोड़ रुपए किसानों को दिए जाएंगे। अवशेष जलाने वाले किसानों के चालान काटने का काम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को करना होगा।