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    मुस्लिम धर्म छोड़ 35 लोग फिर से बने हिन्दू, बताया किसके दबाव में बने थे मुस्लिम?

    देशभर में कई जगह से खबरें आती रहती हैं कि दबाव डालकर हिंदू परिवार को मुस्लिम बना दिया। लेकिन इस बार जो खबर आ रही है वो इससे बिलकुल अलग है। हरियाणा के 6 परिवारों के 35 लोगों ने मुस्लिम धर्म छोडकर फिर से हिंदू धर्म को अपना लिया है। वहीं इन्होने खुलासा किया है कि उनके पूर्वज हिंदू थे और  उन्हें दबाव डालकर मुस्लिम बने गया था।

    दरअसल, हरियाणा में 6 मुस्लिम परिवारों के कुल 35 सदस्यों ने हिन्दू धर्म स्वीकार किया है। दूसरे शब्दों में इसे घर वापसी भी कह सकते हैं। धमतान साहिब गांव के लगभग 35 लोगों ने सनातन पद्धति और रीति-रिवाज़ों से अपने पूर्वजों की ओर लौट आए। घर वापसी करने वाले लोगों ने इस बात को स्वीकार किया कि उनके पूर्वज हिन्दू थे। इन लोगों ने कहा कि सदियों पहले उनकी पीढ़ियों पर दबाव बना कर उन्हें इस्लाम कबूल कराया गया था। उनके तौर तरीके और गतिविधियां हिन्दू रीति रिवाज़ों पर आधारित थीं, अंततः उन्होंने अपने मूल धर्म की ओर वापस लौटने का फैसला लिया। कुछ ही महीनों पहले हरियाणा के ही धानोदा गांव में भी कई मुस्लिम परिवारों की घर वापसी हुई थी। 

    दूसरी तरफ गांव के लोगों और हिन्दू परिवारों ने इस कदम का समर्थन किया है और खुशी भी जाहिर की है। मुस्लिम परिवारों की घर वापसी के दौरान वहां पर यज्ञ और हवन का आयोजन भी कराया गया था, इस हवन में नजीर के कुल 5 परिवार और जंगा के परिवार ने हिन्दू धर्म स्वीकार किया। सभी 35 लोग इस हवन में शामिल हुए और उन्होंने अंत में जनेऊ भी धारण किया। दलजीत, राजेश, सादिक, जंगा, सतवीर समेत कई अन्य लोगों ने कहा कि उन्होंने अपनी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन का निर्णय लिया है। ऐसा करने के लिए उन पर किसी ने दबाव नहीं बनाया था। गांव वालों का यहां तक कहना था कि इन लोगों के परिवार हिन्दू रीति रिवाजों का ही पालन करते थे, त्यौहार भी धूम धाम से मनाते थे और अपने बच्चों के हिन्दू नाम ही रखा करते थे।

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    हाथरस घटना को लेकर देशभर में गुस्सा फिर भी क्या छिपाने में लगी है यूपी सरकार?

    हाथरस में हुई घटना के बस से देशभर में लोगों के अंदर गुस्सा है. विपक्ष इसको लेकर हंगामा कर रहा है और यूपी के सीएम का इस्तीफा मांग रहा है. इसके बावजूद यूपी सरकार सच को छिपाने में लगी है. न तो विपक्ष को वहां जाने दे रहे हैं और न ही मिडिया की एंट्री होने दे रहे. यह सब यूपी सरकार की मंशा पर सवाल तुहा रहा है.

    पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन गैंगरेप की बात को गलत करार दिया है. अब देश में दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग हो रही है, लेकिन इस बीच स्थानीय प्रशासन की ओर से कई तरह की सख्ती बरती जा रही है. गांव में मीडिया की एंट्री पर रोक लगा दी गई, किसी नेता को जाने नहीं दिया जा रहा है, खुद डीएम जाकर परिवार से धमकी भरे अंदाज में बात कर रहे हैं. पहले गुरुवार को राहुल गांधी, प्रियंका गांधी को हाथरस जाने से रोका गया. अब शुक्रवार को टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन को रोका गया और उनके साथ बदसलूकी की गई. इतना ही नहीं अब पीड़िता के गांव में मीडिया की एंट्री पर भी रोक लगा दी गई है. शुक्रवार को ही लखनऊ में इस मसले पर प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी के नेताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. इस दौरान कई कार्यकर्ताओं को चोट आई, सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया को भी चोटें आई. लेकिन जब ये सभी कड़ियां मिलती हैं तो प्रशासन के रवैये और उनके मकसद पर सवाल खड़े होते हैं. क्योंकि प्रशासन सच बाहर आने से बचना चाहता है, इसी वजह से किसी की एंट्री पर रोक लगा दी है. आखिर वो कौन-सी तस्वीरें सामने आई हैं, जिनसे प्रशासन के रवैये पर सवाल खड़े होते हैं.


    बड़े सवाल :

    - हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार का एक वीडिया सामने आया, जिसमें वो पीड़िता के परिवार से बात कर रहे हैं. यहां डीएम परिवार से कह रहे हैं मीडिया आज है, कल चला जाएगा. आपको हमारे साथ रहना है, ऐसे में मदद स्वीकार कर लीजिए. साफ तौर पर डीएम परिवार को धमकाकर मामले को दबाने की कोशिश में जुटे हैं.

    - हाथरस के ही एडीएम जेपी सिंह और वकील सीमा कुशवाहा का एक वीडियो सामने आया. जहां सीमा कुशवाहा पीड़िता के परिवार से मिलने जाने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन एसडीएम उन्हें आगे नहीं जाने दे रहे हैं. बता दें कि सीमा कुशवाहा ने ही दिल्ली की निर्भया का केस लड़ा था और उन्होंने हाथरस की निर्भया के परिवार को मदद की बात कही है.

    - मंगलवार की रात को जब पीड़िता का शव हाथरस के गांव पहुंचा तो आधी रात को ही उसे जला दिया गया. इंडिया टुडे की रिपोर्टर तनुश्री पांडे इस दौरान वहां पर ही रहीं, लेकिन जब तनुश्री ने सवाल किया तो पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया. और तुरंत ही डेडबॉडी को जला दिया. - हाथरस जिले की सीमाएं सील कर दी गई हैं, साथ ही धारा 144 लगाई गई है. इसके अलावा प्रशासन ने मीडिया को गांव के अंदर जाने से रोक दिया है. शुक्रवार को हाथरस में पीड़िता के गांव में ग्राउंड रिपोर्ट के लिए मौजूद आजतक संवाददाता चित्रा त्रिपाठी के साथ कुछ अधिकारियों ने बदसलूकी की है. हाथरस में एक बड़े सरकारी अधिकारी ने आजतक संवाददाता को धमाकाया और बदसलूकी की है.

    - मीडिया के अलावा विपक्ष के नेताओं को भी जिले में नहीं जाने दिया जा रहा है. गुरुवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को नोएडा में ही रोक लिया गया, शुक्रवार को टीएमसी और सपा के सांसद जिले की सीमा तक पहुंचे तो आगे नहीं जाने दिया गया.

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    क्या बरौदा उपचुनाव में खुद चुनाव लड़ेंगे अभय, हुड्डा और खट्टर, ऐसे में क्या करेगी जेजेपी?

    बरौदा उपचुनाव की घोषणा हो गई है और सभी पार्टियों ने जोर लगा दिया है। लेकिन कई जगह चर्चाएं हैं कि इस चुनाव में कई बड़े दिग्गज सामने आ सकते हैं और जींद उपचुनाव से भी रोचक यह चुनाव हो सकता है।

    दरअसल, जब से बरौदा उपचुनाव की घोषणा हुई है तब से बड़े नेताओं में एक दूसरे को चैलेंज का दौर चला हुआ है। सबसे पहले इनेलो नेता अभय चौटाला ने कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को चैलेंज किया कि बरौदा अगर उनका गढ़ है तो वो यहां से चुनाव लड़कर दिखाएं। यानी अगर भूपेंद्र हुड्डा चुनाव लड़ते हैं तो अभय उनके सामने चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं पूर्व सीएम भूपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल को खुली चुनौती दे दी है। उन्होंने कहा है कि अगर सीएम मनोहर लाल करनाल से इस्तीफा देकर बरौदा से चुनाव लड़ें तो मैं भी किलोई से इस्तीफा देकर उनके सामने चुनाव लड़ने को तैयार हूं। हुड्डा ने कहा है कि सीएम मनोहर लाल को अपनी लोकप्रियता का पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि वो एक बार इस्तीफा देकर बरौदा से मेरे सामने चुनाव लड़ें, जब उनकी जमानत जब्त होगी तो उन्हें पता चल जाएगा कि प्रदेश की जनता उन्हें कितना पसंद करती है। ऐसे में अगर तीनो एक दूसरे का चैलेंज मान लेते हैं तो हुड्डा के चैलेंज के कारण सीएम मनोहर लाल मैदान में होंगे और सीएम मैदान में आएँगे तो भूपेन्द्र हुड्डा ने खुद ही कह दिया है कि वो भी इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। अगर हुड्डा मैदान में होंगे तो अभय चौटाला को चैलेंज पूरा करने के लिए मैदान में उतरना पड़ेगा। लेकिन इस सब के बीच बड़ा सवाल यह है कि अगर ये तीनो मैदान में उतरे तो जेजेपी क्या करेगी। क्या फिर भी वो अपना उमीदवार नहीं उतारेगी। भाजपा को समर्थन देगी या निचे-निचे सीएम को हरवाने का काम करेगी या फिर वो भी दिग्विजय को मैदान में उतारेंगे। अब देखना यह होगा कि इनमें से कौन किसका चैलेंज स्वीकार करता है और कौन नहीं।

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